दिल्ली. गुणीजन सभा की 23वीं आयत में जब पैगंबर की सीरते-पाक का अक्स लफ़्ज़ों के जिस्म में मौसीक़ी की रूह में जब महका तो पूरा माहौल रूहानी हो गया.चन्द्रभान ‘ख़याल’ ने अपनी तवील नज़्म ‘लौलाक’ जब पेश की, जिसमें पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद (सल्ल.) की पूरी ज़िन्दगी को पद्य में लिखा है| जब ख़याल साहब ने अपनी इस लम्बी नज़्म के कुछ बंद पढ़ कर सुनाये, तो महफ़िल समां ही बदल गया. जब वही बंद अब्बास […]
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